पापा, जलेबी के अंदर रस कैसे डालते हैं ? बच्चों को बताने यहीं ले आइए.. सामने ही जलेबियां बनाई जाती हैं और उसके अंदर रस भी भरा जाता है । यहां के खोवे की जलेबी को रबड़ी में लपेटकर खा लीजिए, फिर कैलोरी और फिगर की बातें बकवास, अफवाह लगने लगेगी ।
या रबी, ज़ेलेबिया ... या ख़ुदा, मैं फिसल गया.. कहते हैं, एक बादशाह के कहने पर गलती से बन गई जलेबी । फिर तो ये देश के चप्पे चप्पे में फैल गई- दूध-जलेबी, भुजिया-जलेबी, दही-जलेबी, समोसा-जलेबी, पोहा-जलेबी, भात-जलेबी, रबड़ी-जलेबी, खीर-जलेबी, डबलरोटी-जलेबी .. सबने इसे अपना लिया ।
चौक चौराहों पर अब जो हमे आड़ी टेढ़ी कलाकृतियां दिखाई देती हैं, मुझे तो पक्का लगता है इसका आइडिया जलेबी से ही आया होगा । हम तो बचपन से ही जलेबी के फैन रहे हैं, लिखना शुरू ही किया था तो सबने कहा, जलेबी बना रहा है.. और अपने सीधेपन की तुलना तो जलेबी से ही की जाती है ।